पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ सुबह सुबह ले शिव का नाम, कर ले बन्दे ये शुभ काम किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी । मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥ तुरत षडानन आप पठायउ। https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa