उमापति भैरव विघ्नहारी । तुजवीण शंभो मज कोण तारी ॥ १२ ॥ हम इस मंत्र को बहुत से अलग-अलग आयामों में देख सकते हैं। फिलहाल, हम इस मंत्र को एक शुद्धीकरण की प्रक्रिया के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं। साथ ही हम ध्यान की अवस्था को पाने के https://aajkavrischikrashifal19630.rimmablog.com/22117078/shiv-stuti-no-further-a-mystery